व्यक्ति के जीवन की पहली पाठशाला होते हैं माता-पिता…पत्रकार विनोद चौकसे की खास खबर,,,,
शिक्षक सम्मान समारोह, एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर परिचर्चा का हुआ आयोजन…
विधायक जालम सिंह पटैल ने लगभग 1000 शिक्षकों का किया सम्मान…
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करेली… देश में आज सर्वपल्ली राधाकृष्णन के विचारों की जरूरत है।जब देश का राष्ट्रपति शिक्षक बनता है तो एक अलग बात होती है। ऐसे दो उदाहरण सामने आते हैं एक तो डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन दूसरा एवं दूसरे एपीजे अब्दुल कलाम, दुनिया में सुपर कंप्यूटर बनाने वाले ब्रेन हिंदुस्तान है। भारत विश्व गुरु के रूप में स्थापित होगा। आज दुनिया पांचवी शक्ति के रूप में स्थापित हो चुका है । आचार्य चाणक्य ने चित्रगुप्त को राजा बनाया । आचार्य को सम्मान देना ही होगा। आज मैं सभी आचार्यों को शत-शत प्रणाम करता हूं । तदाशय के उद्गार राज्यसभा सदस्य कैलाश सोनी ने शिक्षक सम्मान समारोह एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर आयोजित विचार परिचर्चा में अतिथि बतौर व्यक्त किए। राज्यसभा सदस्य श्री सोनी ने कहा कि आचार्य को दीपक कहे तो अतिशयोक्ति न होगी, प्रत्येक राज्य के पीछे कोई ना कोई आचार्य होता ही है। राष्ट्रीय नीति से राष्ट्र का निर्माण होगा।जीवन सबसे पहली पाठशाला मां-बाप होते हैं। पुरानी गल्ला मंडी में आयोजित कार्यक्रम के पूर्व नगर के वरिष्ठ शिक्षक जन शंकरलाल अग्रवाल, छोटेराजा कौरव,बाबूलाल दुबे,केसी गुप्ता,एन सी जैन, विजय ज्योतिषी, हिम्मत सिंह बुंदेला,प्रमोद दुबे, भरतलाल नेमा,धर्मेन्द्र ममार मंचस्थ थे। सभी आचार्य का पुष्पाहार, चंदन माला एवं स्मृति चिह्न से अभिनंदन राज्यसभा सदस्य कैलाश सोनी एवं कार्यक्रम आयोजक विधायक जालम सिंह पटेल ने किया । मां शारदे व डाँ राधाकृष्णन् के पूजन अर्चन उपरांत वक्ता के रूप में उपस्थित विद्या भारती के ब्लॉक समन्वयक राघवेंद्र शुक्ला ने कहा कि विद्या भारती बहुत लंबे समय से कार्यरत हैं। सबकी सहभागिता से राष्ट्रीय शिक्षा नीति जन जन तक सहयोग करेगी । राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उद्देश्य सेवानिवृत्त शिक्षकों का सम्मान करना है।शिक्षक दिवस यह आयोजन हो रहा है यह बहुत बड़ी बात है। मातृशक्ति को जीवन में पहला गुरु माना जाता है। दूसरा शिक्षक, तीसरा आचार्य जाने जाते हैं। वक्ता के रूप में उपस्थित श्री राम इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के डॉ अतुल दुबे ने अपने वक्तव्य में कहा कि मातृशक्ति जीवन में पहला गुरू मानी जाती है । प्रलय और उदय के के लिए शिक्षक ही होता है । राष्ट्रीय शिक्षा नीति में तीन उद्देश्य हैं प्राचीन ज्ञान को नवीन पीढ़ी में स्थानांतरित करना, दूसरा वर्तमान पीढ़ी को नवीन ज्ञान का अर्जन कराना है । समाज के लिए अगली पीढ़ी चुनौतियों को निर्माण कराना है । 103 पृष्ठों का राष्ट्रीय शिक्षा नीति का दस्तावेज है। कार्यक्रम के आयोजक मध्य प्रदेश शासन के पूर्व राज्यमंत्री क्षेत्रीय विधायक जालम सिंह पटेल ने अपने उद्बोधन में कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर परिचर्चा आज हुई है। हमारे देश में कई तरह के हमले हुए, जिसमें सांस्कृतिक हमला भी हुए हैं । वर्तमान में राष्ट्रीय शिक्षा नीति में जो संशोधन हुआ है उसका परिणाम आने वाले 10 सालों में देखने को मिलेगा । आज शिक्षक दिवस पर हम शिक्षकों का सम्मान करते हैं तो हम स्वयं भी गौरव का अनुभव करते हैं । आज बड़े प्रसन्नता का विषय है कि यह शिक्षक नए भारत का निर्माण करने का कर्तव्य भी कर रहे हैं । इस अवसर पर सेवानिवृत्त शिक्षक एनसी जैन, बाबूलाल दुबे, हिम्मत सिंह बुंदेला आदि ने भी अपने-अपने विचार रखे । आयोजन में सेवानिवृत्त ,वर्तमान में शासकीय अशासकीय विद्यालयों में कार्यरत शिक्षक शिक्षिकाओं की लगभग एक हजार की संख्या में उपस्थित रहे । जिनका विधायक श्री पटेल ने स्मृति चिन्ह तुलसी माला एवं तिलकाभिनंदन व राष्ट्रीय शिक्षा नीति का पत्रक भेंटकर कर उनका सम्मान किया। इस मौके पर श्री शिक्षा समिति के सदस्यों के साथ बड़ी संख्या में नगर वासियों,पत्रकारों , मातृशक्ति की उपस्थिति रही । जिन्होंने इस कार्यक्रम में सम्मिलित होकर शिक्षकों का भी अभिनंदन किया। नरसिंहपुर जिला मुख्यालय सहित करेली,गाडरवारा,गोटेगांव आदि में भी विधायक द्वारा शिक्षक सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ अधिवक्ता संतोष तिहैया ने किया एवं आभार प्रदर्शन मंडल अध्यक्ष रजत सिंह चौहान ने किया।